नई दिल्लीः Union Budget 2024 मोदी सरकार का बजट 23 जुलाई यानी आज मंगलवार को पार्लियामेंट में पेश होने जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी। तीसरी बार सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार से लोगों की काफी उम्मीदें हैं। भारत का अपना पहला बजट साल 1860 में स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। वहीं, आजादी के बाद की बात करें, तो आरके शनमुखम चेट्टी पहले वित्त मंत्री थे। उन्होंने 26 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट पेश किया। आइए उनमें पांच ऐसे बजट के बारे में जानते हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी थी। इसके बाद भारत की अर्थव्यस्था में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला।
1991-92 में हुआ अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
Union Budget 2024 अगर किसी बजट ने आधुनिक भारत की तकदीर तय की, तो वह है 1991 का केंद्रीय बजट। उस समय देश गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा था। एक तरह से दिवालिया होने की कगार पर खड़ा भारत। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बतौर अर्थशास्त्री अपनी काबिलियत का इस्तेमाल किया और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए। मनमोहन सिंह के बजट ने कस्टम ड्यूटी यानी विदेश से आने वाले सामानों पर टैक्स 220 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कर दिया। इससे भारतीय व्यापार वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया। उन्होंने उदारीकरण की भी शुरुआत की। इसमें व्यापार में सरकार का दखल कम करके आर्थिक आजादी को बढ़ावा दिया गया। यह बजट भारत के आर्थिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। इसने बहुचर्चित ‘लाइसेंस राज’ को खत्म करके दुनियाभर में भारत की छवि को बेहतर किया। लाइसेंस राज से मतलब ऐसी व्यवस्था से था कि आपको कोई भी कारोबार करने के लिए सरकार से परमिट या लाइसेंस लेना पड़ता था। इसमें काफी वक्त लगता और नौकरशाही की मनमानी भी खूब चलती। मनमोहन सिंह के बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था में दुनिया का भरोसा बहाल किया। विदेशी निवेश को आकर्षित किया। इससे भारत के आर्थिक शक्ति बनने का रास्ता भी तैयार हुआ।
1997-98 में चिदंबरम लाए ‘ड्रीम बजट’
पी चिदंबरम ने 1991 की नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के मार्गदर्शन में काम किया था। उन्होंने आर्थिक और वित्तीय कुशलता परिचय 1997 का बजट पेश करते वक्त दिया, जब वह वित्त मंत्री बने। इस बजट को एक्सपर्ट ने ‘ड्रीम बजट’ का तमगा दिया। इसमें पर्सनल इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स में भारी कमी की गई। सबसे अधिक पर्सनल इनकम टैक्स रेट को 40 से घटाकर 30 फीसदी कर दिया। इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिली और इसे भारतीय इतिहास के सबसे बजट में से एक का माना गया।
2000-01 में यशवंत सिन्हा ने पेश किया लैंडमार्क बजट
अटल बिहारी वाजपेयी की अगुआई वाली सरकार में यशवंत सिन्हा ने डिजिटल क्रांति की रूपरेखा तैयार की। उनका बजट खासकर आईटी सेक्टर के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ। इसमें कंप्यूटर समेत 21 आइटम्स पर कस्टम ड्यूटी घटाई थी। इससे देश की आईटी इंडस्ट्री में बूम आया और भारत का आईटी ग्रोथ का हब बन गया।
2016-17 में अरुण जेटली ने आम और रेलवे बजट किया मर्ज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री का जिम्मा दिवंगत अरुण जेटली के पास था। उन्होंने ऐतिहासिक बदलाव करते हुए आम बजट और रेलवे बजट को मर्ज कर दिया। यह 92 साल की पुरानी परंपरा का अंत था। अरुण जेटली ने दोनों बजट को मर्ज करके सुव्यवस्थित किया और एक बजट पेश किया। उसके बाद से रेलवे बजट अलग से नहीं पेश किया गया।
2019-20 सीतारमण ने कॉरपोरेट जगत को दी बड़ी राहत
मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहला बजट 5 जुलाई 2019 को पेश किया था। उनका पहला बड़ा आर्थिक सुधार कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी करना था। दरअसल, अर्थव्यवस्था को नोटबंदी और जीएसटी लागू से बड़ा झटका लगा था। कॉरपोरेट टैक्स घटाने से उद्योग जगत को उबरने में काफी मदद मिली। सीतारमण को कोरोना महामारी के दौरान COVID-19 इकोनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स का प्रभारी भी बनाया गया। कोरोना काल में आर्थिक मुश्किलों को दूर करने के लिए देश के जीडीपी के करीब 10 फीसदी के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज का भी ऐलान किया।