छत्तीसगढ़ में डीजी पुलिस बदलने की अटकलें लंबे समय से चल रही है। पहले चर्चा थी कि नई सरकार अरुणदेव गौतम को पुलिस की कमान सौंपने के पक्ष में है। लेकिन बाद में 87 बैच के आईपीएस स्वागत दास का नाम चर्चा में आ गया। स्वागत दास चूकि सिकरेट्री रैंक के अफसर हो गए हैं। सो, बिना प्रधानमंत्री के अनुमोदन के उनकी अपने कैडर में वापसी नहीं हो सकती। एनपीजी पहले बता चुका है कि कैबिनेट की एप्वाइंटमेंट कमिटी से एक बार उनकी अनुमति की फाइल वापस आ चुकी है। दूसरी बार फिर से उनकी फाइल एसीसी के पास भेजी गई है।
इधर, वर्तमान डीजी पुलिस अशोक जुनेजा के बाद सीनियरिटी में राजेश मिश्रा आते हैं। राजेश 90 बैच के आईपीएस हैं। बिलासपुर आईजी रहने के बाद छत्तीसगढ़ में उन्हें कोई खास पोस्टिंग नहीं मिली है। हालांकि, तीन साल वे सेंट्रल डेपुटेशन पर वे सीआरपीएफ में भी रहे। 2022 में वे दिल्ली से लौटे। राज्य सरकार ने उन्हें डीजी का प्रमोशन तो दे दिया मगर कामकाज के मामले में उन्हें हांसिये पर ही रखा गया। सीनियर एडीजी होने के बाद भी फॉरेंसिक साइंस में वे पिछले डेढ़ साल से समय गुजार रहे हैं। उन्हें डीजी पुलिस बनाने उच्च स्तर पर प्रयास हो रहा है। खासकर, संघ के कुछ पदाधिकारी चाहते हैं कि राजेश को रिटायरमेंट से पहले एक बार डीजी पुलिस बनने का मौका मिल जाए।
सूत्रों का कहना है कि अभी कल आधी रात का समय है। इसलिए, कल रिटायरमेंट के नाम पर उनकी संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता। कोई आश्चर्य नहीं कि आजकल में कोई आदेश हो जाए। वैसे भी आईपीएस की पोस्टिंग अभी नहीं हुई है। वैसे भी, भारत सरकार में आखिरी दिनों आजकल एक्सटेंशन और पोस्टिंग मिल रही है। यूपी के चीफ सिकरेट्री के मामले में ऐसा ही हुआ था। रिटायरमेंट से एक दिन पहले दुर्गाशंकर मिश्रा को एक्सटेंशन देते हुए चीफ सिकरेट्री बनाकर लखनउ भेज दिया गया था। यह पहला केस था जिसमें भारत सरकार ने राज्य में खुद ही चीफ सिकरेट्री अपाइंट कर भेज दिया। अभी तक राज्य सरकारें ही चीफ सिकरेट्री और डीजीपी की नियुक्तियां करती हैं। सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस के हिसाब से डीजीपी को जरूर दो साल की पोस्टिंग मिल जाती है। भले ही उसके रिटायरमेंट में दो दिन बचा हो। बहरहाल, आशय यह है कि राजेश अभी भी रेस में हैं। अब लास्ट में जो भी फैसला करे सरकार।
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