छत्तीसगढ़ की सबसे लंबी सुरंग का काम शुरू होगा मार्च से
रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर और विशाखापट्नम के बीच 464 किमी लंबी 6 लेन सड़क के लिए केशकाल घाटी में 2.5 किमी लंबी सुरंग का निर्माण मार्च से शुरू हो जाएगा।
यह छत्तीसगढ़ की पहली सड़क होगी, जिसमें इतनी लंबी सुरंग बनेगी। नेशनल हाईवे और ठेका कंपनी सर्वे करवा रही है, ताकि पता चल सके कि सुरंग बनाने से पहाड़ न धंसे। इस पहाड़ की प्रारंभिक जियोफिजियोलॉजी रिपोर्ट के मुताबिक 30 लाख साल पुराना यह पहाड़ बेहद सख्त और ठोस ग्रेनाइट की चट्टानों वाला है।
पहाड़ पर कोई बड़ी बसाहट नहीं है, इसलिए यहां वैसी आशंका नहीं है, जैसा उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहा है। विशेषज्ञों का यही मानना है कि टनल बनाने से जमीन खिसकेगी, जलस्तर प्रभावित होगा, जिससे टनल के ऊपर से पेड़ सूख सकते हैं।
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रायपुर-विशाखापट्नम रोड की छत्तीसगढ़ में लंबाई 124 किमी होगी। यह ओडिशा होते हुए आंध्रप्रदेश पहुंचेगी। छत्तीसगढ़ में 3 हिस्सों में काम हो रहा है।
अभनपुर से सारगी, सारगी से बासरवाही और बासरवाही से मारंगपुरी (ओडिशा बॉर्डर)। टनल बासरवाही और गोविंदपुर के बीच बनेगी।
टाइगर रिजर्व में निर्माण की एनओसी मिल सकती है 28 फरवरी को
भानुप्रतापदेव पीजी कॉलेज कांकेर में एचओडी-जियोलाॅजी प्रो. प्रदीप गौर ने बताया कि पहाड़ स्थिर है, कोई गतिविध नहीं है। गोविंदपुर गांव के पास ठेका कंपनी के बेस कैंप में मौजूद साइट इंचार्ज ने बताया-केशकाल बस्तर क्रेटॉन का हिस्सा है। चारामा तक केवल ग्रेनाइट के पहाड़ हैं। हम एनएचआई से अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। अनुमति मिलते ही काम शुरू कर देंगे।
10 किमी की सड़क उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गुजरेगी। पूरे निर्माण में सिर्फ इसी अनुमति का पेंच फंसा हुआ है। टाइगर रिजर्व में किसी भी निर्माण से पहले राज्य सरकार और नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्लूएल) से अनुमति लेनी होती है।
राज्य सरकार ने दिसंबर 2022 में एनएचएआई को निर्माण की एनओसी जारी कर दी है। इसे 28 फरवरी को दिल्ली में होने जा रही एनबीडब्ल्यूएल की बैठक में रखा जाएगा। अब फैसला एनबीडब्ल्यूएल को करना है। एनएचएआई के अधिकारी मानकर चल रहे हैं कि एनओसी मिल जाएगी।
विशाखापट्टनम रोड पर टनल निर्माण से ये फायदे
1. केशकाल में 12 खतरनाक मोड़ हैं। यहीं हादसे होते हैं, जो कम होंगे। 2. ट्रांसपोर्टेशन आसान होगा, क्योंकि बड़ी गाड़ियों को घाटी में नहीं चढ़ना होगा। 3. रायपुर से 7 घंटे में विशाखापट्टनम पहुंचेंगे। तेज संपर्क का फायदा होगा।
एक्सपर्ट व्यू – डा. डीपी कुइति, भूवैज्ञानिक
हिमालय यंग, इसलिए जोशीमठ में धंसाव बस्तर के पहाड़ पक्के, इसलिए असर कम
हिमालय एक्टिव जोन है। यह दुनिया का सबसे यंग माउंटेन है, पहाड़ पर ओवर बर्डन, बेतरतीब और क्षमता से अधिक निर्माण, ऊपरी मिट्टी का कटाव के साथ निस्तारी के पानी का बहाव, धंसाव की वजह हैं।
इसके विपरीत केशकाल के पहाड़ 30 लाख साल पुराने और पक्के हैं। इसलिए यहां ऐसा नहीं होगा। फिर भी कुछ असर हो सकते हैं। 20 मीटर परिधि की 6 लेन टनल भले ही पुराने पहाड़ पर बन रही है, मगर इसकी अपनी हाइड्रोलॉजी और भू-वैज्ञानिक परिस्थितियां हैं।
आशंका है कि ऊपर लगे पेड़-पौधे पानी न मिलने से सूखें और चट्टानों की पकड़ कमजोर हो। हालांकि एनएचएआई अफसरों का कहना है कि पेड़ पहाड़ पर हैं, टनल 45 मीटर नीचे। बननी है। पं. रविशंकर विवि में भूविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. निनाद बोधनकर ने केशकाल की पहाड़ी का जियोफिजिकल सर्वे किया है।
उनके अनुसार पहाड़ हार्ड रॉक से बना है, इसलिए सैटल है। सुरंग के ओपनिंग और क्लोजिंग पॉइंट पर ब्लॉस्ट होने से सिर्फ मिट्टी खिसकेगी। चट्टानों में दरारें हैं, धमाके से और बनेंगी इसलिए सावधानी बरतनी होगी।
बफर जोन से गुजरेगी
“इस प्रोजेक्ट में 10 किमी सड़क टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गुजरेगी। इसकी एनबीडब्ल्यूएल से अनुमति फरवरी में मिलने की उम्मीद है। इसलिए मार्च से ही निर्माण शुरू करने की तैयारी है।”
अभिनव सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनएचएआई