राजस्थान और मध्य प्रदेश में नेताओं की गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कांग्रेस छोड़कर जाने वाली अटकलों पर विराम लगा दिया है। टी एस सिंहदेव ने बुधवार को कहा कि यह सच है कि कई दलों ने उनसे संपर्क किया है लेकिन उनका कांग्रेस पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। सिंहदेव से संवाददाताओं ने जब उनसे पूछा कि क्या भाजपा ने ऑपरेशन लोटस के तहत उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए उनसे संपर्क किया था, उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन लोटस के बारे में नहीं है। जब भी किसी को कोई गुंजाइश दिखता है तब वह राजनीतिक दल पहल करता है। मैं कांग्रेस छोड़कर किसी अन्य पार्टी में नहीं जाऊंगा। पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं वह काम करूंगा।
टी एस सिंहदेव ने कहा कि यह सच है कि कई पार्टियों ने उनसे संपर्क किया था, वह इसे स्पष्ट करना चाहते हैं। मंगलवार को अंबिकापुर में पार्टी के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए सिंहदेव ने कहा था कि उन्होंने पार्टी के सामने अपना पक्ष रख दिया है। कार्यकर्ता सम्मेलन में मौजूद रहे सरगुजा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने बताया कि बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा था कि अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए भाजपा और अन्य दलों के नेता उनसे संपर्क कर रहे हैं। गुप्ता ने बताया कि सम्मेलन में सिंहदेव ने कहा था कि मैं भाजपा में शामिल होने के बजाए घर में बैठना पसंद करूंगा।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि टी एस सिंहदेव हमारे वरिष्ठ नेता हैं, भाजपा उन्हें लुभाने की कोशिश करती है, लेकिन वह (सिंहदेव) कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही हैं इसलिए छत्तीसगढ़ में भाजपा का ऑपरेशन लोटस कामयाब नहीं होगा। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष के अंत तक विधानसभा चुनाव होना है। राज्य में स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विरोधी माना जाता है।
इसी साल होने हैं विधानसभा चुनाव
साल के अंत तक राजस्थान और मध्य प्रदेश के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होने हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा था कि टी एस सिंह देवा कांग्रेस छोड़कर किसी दूसरी पार्टी में जा सकते हैं। इन अटकलों पर सिंहदेव ने विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में यह खबर कांग्रेस के लिए राहतभरी हो सकती है। चूंकि कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अलावा एमपी और राजस्थान में भी गुटबाजी से चिंतित है। हालांकि, राजस्थान में पायलट और गहलोत के बीच चल रहा विवाद खत्म माना जा रहा है।