भिलाई और बेमेतरा जिले के पीड़ितों की हुई सफल सर्जरी
रायपुर। नेत्रदान को महादान माना गया है। इसी महादान के जरिए भिलाई निवासी 65 वर्षीय सोहन लाल ( परिवर्तित नाम) और बेमेतरा निवासी 34 वर्षीय लालसिंह ( परिवर्तित नाम) को आंखों की रोशनी मिली है।
इन दोनों लोगों के जीवन को रोशनी अखिल भारतीय आर्युर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर के चिकित्सकों द्वारा सफलतापूर्वक कार्निया ट्रांसप्लांट (केराटोप्लास्टी) सर्जरी कर दी गई है।
सर्जरी के बाद दोनों ही मरीज स्वस्थ हैं। उनको अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है और फालोअप के लिए उन्हें अस्पताल बुलाया जा रहा है। आंखों की रोशनी वापस मिलने पर सोहन लाल कहते हैं अचानक मेरी आंखों से दिखाई देना बंद हो गया था, तो मुझे लगा जैसे मैं अब कभी भी दुनिया देख नहीं सकूंगा।
एम्स के डॉक्टरों में मुझे दान में मिली पुतली लगाकर मेरे जीवन में रोशनी भर दी। इसी तरह लालसिंह भी कार्निया प्रत्यारोपण से काफी खुश हैं। उनकी पत्नी सुषमा (परिवर्तित नाम) ने बताया कि गाड़ी के शोरूम में अचानक आंख में जलन और दर्द होने लगा और आंखं से दिखाई देना बंद हो गया।
जब एम्स आए तो यहां डॉक्टर ने आंख में संक्रमण बताते हुए जल्द से जल्द आपरेशन करने को कहा। फिर नेत्रदान से मिले कार्निया प्रत्यारोपण किया गया। अभी आंख की रोशनी आ गई है। फालोअप के लिए अस्पताल बुलाया जा रहा है।
कार्निया में अल्सर और दृष्टि की थी समस्या
कार्निया प्रत्यारोपण सर्जरी के जरिए दो मरीज की जिंदगी को रोशन करने वाली एम्स की नेत्र विशेषज्ञ डा. विजया साहू ने बताया कि एक व्यक्ति कार्नियल अल्सर से पीड़ित था तो दूसरे व्यक्ति को रोशनी की समस्या थी। दोनों ही केस में फौरन सर्जरी की जरूरत थी इसलिए बिना इंतजार किए आई बैंक से कार्निया लेकर दोनों मरीजों की कार्निया प्रत्यारोपण सर्जरी की गई। उन्होंने कहा कि लोग नेत्रदान करें तो जरूरतमंदों को नई रोशन जिंदगी दी जा सकती है।
नेत्रदान के लिए जागरूकता जरूरी
राज्य कार्यक्रम अधिकारी अंधत्व निवारण, डा. सुभाष मिश्रा ने बताया कि जरूरतमंद मरीजों को आंखों की रोशनी दिए जाने के लिए विभाग प्रयासरत है।
राज्य को अंधापन मुक्त राज्य बनाने के लिए संपूर्ण अंधेपन के शिकार व्यक्तियों की खोज की जा रही है। छत्तीसगढ़ में रोजाना हो रही मृत्यु के अनुपात में कम नेत्रदान होते हैं, जिसका मुख्य कारण इसे लेकर लोगों में जागरूकता की कमीं और कई तरह की भ्रांतियां हैं। इस वर्ष 2022-2023 में जुलाई तक 56 नेत्रदान हुए हैं। वहीं वर्ष-2019-2020 में 362, वर्ष 2020-2021 में तीन तथा 2021-2022 में 100 नेत्रदान हुए हैं।
प्रदेश में नेत्रदान
– वर्ष-2019-20 में 362
– वर्ष-2020-2021 में तीन
– वर्ष- 2021-2022 में 100
– वर्ष-2022 में जुलाई तक 56