राष्ट्रपति के हाथों हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा का उद्घाटन,जोनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का भी शिलान्यास
बेंगलुरू। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु President Draupadi Murmu ने मंगलवार 27 सितंबर को बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा Integrated Cryogenic Engine Manufacturing Facility of Hindustan Aeronautics Limited (HAL) का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर उन्होंने जोनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (दक्षिण क्षेत्र) Zonal Institute of Virology (South Zone) का भी आभासी रूप से शिलान्यास किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा का उद्घाटन केवल एचएएल और इसरो के लिए ही नहीं, अपितु समूचे राष्ट्र के लिए क्रायोजेनिक और सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के निर्माण की अत्याधुनिक सुविधा का होना एक ऐतिहासिक क्षण है।
उन्होंने कहा कि एचएएल ने रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में अपार योगदान दिया है। ऐसा कहा जा सकता है कि एचएएल बलों के पीछे की ताकत रहा है। उन्होंने कहा कि एचएएल ने समय-समय पर अनुसंधान, विकास और विभिन्न विमान प्लेटफार्मों के निर्माण में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।
इसरो की बदौलत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण क्षमता रखने वाला दुनिया का छठा देश बनने में समर्थ हुआ हमारा देश
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इसरो देश का गौरव रहा है। 1960 के दशक में जब इस संस्था ने संचालन शुरू किया, तब भारत एक युवा गणराज्य था, जो गरीबी और निरक्षरता की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा था, लेकिन उसमें अपार सामर्थ्य भी था। इसरो ने जिस तीव्र गति से विकास किया है, उसने सबसे उन्नत और तकनीकी रूप से विकसित देशों का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
इसरो के ईमानदार प्रयासों और समर्पण की बदौलत भारत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण क्षमता रखने वाला दुनिया का छठा देश बनने में समर्थ हो सका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एचएएल और इसरो संयुक्त रूप से सामरिक रक्षा और विकास के क्षेत्र में योगदान करते हैं। दोनों संगठनों ने हमारे देश की सुरक्षा और विकास को सुदृढ़ बनाने वाले विभिन्न उपकरणों और कार्यक्रमों के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है।
एचएएल रक्षा संबंधी उपकरणों के निर्माण की अपनी अत्याधुनिक सुविधा के साथ हमारे देश के लिए एक बहुमूल्य साबित हुई है।
2047 का भारत कहीं अधिक
समृद्ध और सशक्त राष्ट्र हो
It is indeed a historic moment not only for HAL and ISRO, but also for the whole country to have a state-of-the-art facility to manufacture Cryogenic and Semi-cryogenic Engines. I congratulate all the people associated with this prestigious project. pic.twitter.com/s1uw6YZZus
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 27, 2022
राष्ट्रपति ने कहा कि अब जबकि भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है,
ऐसे में एचएएल और इसरो का गौरवशाली अतीत हमें इस बात का भरोसा दिलाता है कि ये संगठन भविष्य में भी महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाते रहेंगे। वर्ष 2047 तक, जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएंगे, हमारे आस-पास की दुनिया काफी बदल चुकी होगी।
जिस तरह 25 साल पहले हम समकालीन दुनिया की कल्पना तक नहीं कर सकते थे, उसी तरह हम आज भी इस बात की कल्पना नहीं कर सकते कि कृत्रिम आसूचना और ऑटोमेशन हमारे जीवन को किस तरह बदलने जा रहे हैं।
स्वतंत्र देश के रूप में हमने 75 साल पूरे कर लिए हैं। हम अगले 25 वर्षों को भारत की नए सिरे से कल्पना करने और इसे एक विकसित देश बनाने की अवधि के रूप में देख रहे हैं।
यह सुनिश्चित करना हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है कि 2047 का भारत कहीं अधिक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र हो।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी
का विस्तार प्रशंसनीय
The expansion of National Institute of Virology through Zonal Campuses across the country catering to the demands in the different geographical regions is praiseworthy. pic.twitter.com/hEohp4NaMZ
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 27, 2022
कोविड महामारी का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के लचीलेपन और असाधारण प्रयासों ने हमें इस संकट से निपटने में मदद की।
उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने प्रभावी कोविड प्रबंधन में अनुकरणीय सहायता प्रदान की है और वह अपनी अनुसंधान अवसंरचना का विस्तार कर रही है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भी वायरोलॉजी के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहयोगी प्रयोगशालाओं में से एक के रूप में नामित किया गया है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की मांगों को पूरा करने की दिशा में देश भर में क्षेत्रीय परिसरों के माध्यम से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का विस्तार प्रशंसनीय है।