मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे श्रीहरिकोटा मे, इसे
भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नई शुरुआत बताया
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) Indian Space Research Organization (ISRO) ने आकाश को सुशोभित करने के लिए भारत के पहले निजी विक्रम- सबऑर्बिटल (वीकेएस) रॉकेट को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके इतिहास रचा है। India’s first private Vikram-Suborbital (VKS) rocket successfully launched.
शुक्रवार 18 नवंबर को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह Union Minister of State (Independent Charge) for Science & Technology and Prime Minister’s Office Dr. Jitendra Singh व्यक्तिगत रूप से आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इस महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी बने।
उन्होंने इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नई शुरुआत, भारत के स्टार्टअप आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में वर्णित किया है। भारत के पहले निजी रॉकेट के सफल प्रक्षेपण के तुरंत बाद, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जो कि प्रक्षेपण स्थल पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे, ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि, “बधाई हो भारत! भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नई शुरुआत! बहुत बहुत धन्यवाद।
सार्वजनिक-निजी-भागीदारी के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलकर इस प्रयास को संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद। भारत के स्टार्ट-अप आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़! इसरो को एक नई उपलब्धि के लिए बधाई।”
मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निजी भागीदारी के लिए 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने (अनलॉक करने) के बाद, यह सफलता इसरो की यात्रा में एक बड़े कीर्तिमान की स्थापना है।
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) का कहना है कि “मिशन प्रारंभ सफलतापूर्वक पूरा हुआ है”, वहीं स्काईरूट एयरोस्पेस ने कहा कि “विक्रम-एस ने आकाश को सुशोभित करने वाले भारत के पहले निजी रॉकेट के रूप में इतिहास रच दिया हैI”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि विक्रम-एस एक एकल चरण ईंधन (सिंगल स्टेज फ्यूल) रॉकेट है जो अगले साल विक्रम-1 के प्रक्षेपण (लॉन्च) से पहले स्काईरूट एयरोस्पेस की परियोजना में अधिकांश प्रणालियों और प्रक्रियाओं का परीक्षण करेगा।
उन्होंने कहा कि रॉकेट अधिकतम 81.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाता है और उसके बाद समुद्र में गिर जाता है तथा प्रक्षेपण की कुल अवधि लगभग 300 सेकंड ही होती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्काईरूट अपने रॉकेट लॉन्च करने के लिए इसरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला पहला स्टार्टअप था। उन्होंने कहा, कि देश का पहला निजी प्रक्षेपण (लॉन्च) होने के अलावा यह स्काईरूट एयरोस्पेस का पहला मिशन भी है, जिसे “प्रारंभ” नाम दिया गया है।
इसरो ने एक वक्तव्य में कहा कि मिशन “प्रारंभ” सफलतापूर्वक पूरा हो गया है, जबकि स्काईरूट एयरोस्पेस ने कहा कि विक्रम-एस ने आसमान को सुशोभित करने वाले भारत के पहले निजी रॉकेट के रूप में इतिहास रचा है। यह अपने साथ अंतरिक्ष में कुल तीन पेलोड ले गया, जिसमें एक विदेशी ग्राहकों का भी था।
https://twitter.com/sandhyabelay/status/1593605337080532992
बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत के लिए वह महत्वाकांक्षी सपना जो भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के पहले अध्यक्ष और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई ने अपनी प्रारम्भिक अत्यल्प संसाधनों वाली वैज्ञानिक व्यवस्था में बैठकर देखा था, आज शानदार ढंग से पूरा सिद्ध हुआ है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अंतरिक्ष सुधारों ने स्टार्ट अप्स की नवोन्मेषी क्षमताओं को उजागर किया है और तीन-चार साल पहले कुछ ही समय के भीतर, अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स की तुलना में आज हमारे पास अंतरिक्ष के अत्यंत प्रति-स्पर्धी मलबा प्रबंधन, नैनो-उपग्रह, प्रक्षेपण यान, भू– केंद्र प्रणालियों, अनुसंधान इत्यादि अत्याधुनिक क्षेत्रों में काम करने वाले 102 स्टार्ट- अप्स हैं।
India's 1st privately built rocket – Vikram-suborbital (VKS) was launched today by the @ISRO.
The 500Kg class (80-100kg payload) rocket has been developed by Skyroot Aerospace, named after Vikram Sarabhai. pic.twitter.com/kZY55mZDp3
— Defence Decode® (@DefenceDecode) November 18, 2022
मंत्री जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने भारत को देश की विज्ञान, प्रौद्योगिकी – नवाचार क्षमताओं के लिए सार्वभौमिक मान्यता अर्जित करने में सक्षम बनाया है और हमारे स्टार्ट-अप्स की बहुत मांग है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत को एक प्रेरणादायक स्थान के रूप में देख रही है, क्योंकि यह क्षमता निर्माण और नैनो उपग्रहों सहित उपग्रह निर्माण में नवोदित देशों की सहायता भी कर रहा है।