नई दिल्ली। भाई दूज का त्योहार हर साल पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि दो दिन 14 और 15 नवंबर को होने की वजह से भाई दूज की तारीख को लेकर लोग कन्फ्यूजन में हैं कि भाई दूज कब हैं। 14 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाना सही होगा या 15 नवंबर को। अगर आप भी इस उलझन में हैं तो आपको बता दें कि भाई दूज सही तिथि पंचांग के अनुसार 15 नवंबर को है। 15 नवंबर को भाई दूज का त्योहार मनाए जाने की वजह क्या है, क्यों है अबकी बार दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज जानिए विस्तार से ज्योतिष और धार्मिक विषयों के जानकर पं.राकेश झा से।
स्कंद पुराण में भातृ द्वितीया यानी भाई दूज के बारे में बताया गया है कि, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने घर में पूजन करके भाई यम यानी यमराज का सत्कार किया था और अपने हाथों से भोजन बनाकर भाई जो टीका दिया या और भोजन करवाया था। उस समय से ही कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का नाम भाई दूज और यम द्वितीया हो गया। भाई दूज के अवसर पर यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था कि जो भी भाई यम द्वितीया के दिन अपनी बहन से टीका लगवाएगा और बहन के हाथों से बना भोजन करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।
धर्मसिन्धुकार भट्टोदीक्षित, स्कन्दपुराणादि अनुसार यमराज नें अपनी बहन से कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को टीका लगवाया था। इसलिेए दोपहर के समय जिस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि हो उसी दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाना चाहिए। इस वर्ष 14 नवंबर और 15 नंबर दोनों ही दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि है। लेकिन शास्त्रों का नियम है कि यदि केवल पहले ही दिन अपराह्ण-व्यापिनी द्वितीया तिथि हो तो यह पर्व पहले दिन मनाया जाए और यदि दोनों दिन अपराह्ण-व्यापिनी द्वितीया हो अथवा दोनों दिन न हो, तो अगले दिन यानी दूसरे दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाना चाहिए।