रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग का मतदाता निर्णायक है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने यहां ओबीसी के 33 उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर इस वर्ग का भरोसा जीतने की कोशिश की है। राज्य में ओबीसी की आबादी लगभग 43 फ़ीसदी है। यही कारण है कि सियासी दल इस वर्ग के बीच अपनी पैठ को बनाए रखना चाहते हैं।
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चुनाव में यह दल ज्यादा से ज्यादा इस वर्ग के लोगों को उम्मीदवार बनाकर यह जताना चाहते हैं कि वही अकेले हैं जो इस वर्ग के सबसे बड़े हिमायती हैं। भाजपा भी राज्य में सत्ता में वापसी के लिए हर दाव पेंच आजमा रही है। उसने 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए 33 उम्मीदवार इस वर्ग से उतरे हैं। मतलब साफ है कि भाजपा इस वर्ग के ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने की कोशिश में है।
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भाजपा की सियासी रणनीति पर गौर करें तो उसने पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को बनाया। ये दोनों ही नेता पिछड़े वर्ग से आते हैं। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में भी इस तरह की रणनीति पर काम किया गया है।
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