भोपाल: Lok Sabha Election Second Phase: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे फेस के लिए घमासान जारी है। MP में दूसरे चरण की 6 सीटों पर वोटिंग होगी। जिसमें रीवा लोकसभा सीट (Rewa Lok Sabha Chunav 2024) भी शामिल है। इस संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने जनार्दन मिश्रा तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने नीलम मिश्रा को चुनावी रण में उतारा हैं। आइए जानते है रीवा लोकसभा सीट का सियासी समीकरण…
रीवा लोकसभा सीट
रीवा संसदीय सीट (Rewa Lok Sabha Seat) विंध्य की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। यह पूरा ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है, लेकिन परिणाम चौंकाने वाले रहे है। कभी जनता ने महाराजा को अन्नदाता मान कर सर आंखों में बैठाया तो कभी राजा-रानी को रंक ने हराया। हर बार दिलचस्प नतीजे आते रहे है। आजादी के बाद यह इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा और आपातकाल में समाजवादियों और बसपा का गढ़ रह चुका है। देश का पहला नेत्रहीन सांसद और बसपा का पहला सांसद यह चुना जा चुका है।
8 विधानसभाओं में से 7 पर BJP, एक पर कांग्रेस
रीवा लोकसभा के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें रीवा, गुढ़, सेमरिया, सिरमौर, मनगवां, त्योंथर, मऊगंज और देवतालाब समेत आठ विधानसभा हैं। रीवा की 8 विधानसभा सीटों में से 7 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, वहीं एक पर कांग्रेस प्रत्याशी के पति अभय मिश्रा विधायक हैं। अगर इन समीकरणों को देखें तो कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी कहीं ज्यादा मजबूत नजर आती है।
ब्राह्मण प्रत्याशियों का रहा दबदबा
17 बार के आम चुनाव में 11 बार ब्राह्मण प्रत्याशी चुनाव जीते, जबकि रिकॉर्ड 4 बार रियासत महाराजा मार्तंड सिंह और 3 बार पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे। 2011 की जनगणना के अनुसार रीवा की जनसंख्या 23,65,106 जिसमें पुरषों की संख्या 12,25,100 और महिलाओं की संख्या 11,40,006 है। शिक्षित लोगों का प्रतिशत 71.62 है। जिले में कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 50 हजार है।
विंध्य की सियासत का गढ़ रीवा
रीवा को विंध्य की सियासत का गढ़ माना जाता है। रीवा सफेद शेर, सुपारी के खिलौने के लिए प्रसिद्ध है। रीवा के विश्व प्रसिद्ध दशहरी आम को जीआई टैग प्राप्त मिला है। इस रीवा ने मध्य प्रदेश को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और कई मंत्री दिए हैं।
तीसरी बार चुनावी मैदान में जनार्दन
भाजपा प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। वे पहली बार 2014 में सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2019 में उन्होंने कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी को हराकर जीत हासिल की थी। वहीं नीलम मिश्रा और उनके पति भी इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं, ऐसे में इलाके में उनकी मजबूत पैठ है।
BJP की पूर्व MLA बिगाडेंगी भाजपा का खेल ?
नीलम मिश्रा का बीजेपी से गहरा नाता रहा है। वे 2013 में भाजपा के टिकट पर सेमरिया सीट से विधायक बनी थीं। 2008 में नीलम के पति अभय मिश्रा को BJP ने टिकट दिया और वे विधायक बने। साल 2018 में नीलम मिश्रा और अभय मिश्रा दोनों ने भाजपा छोड़ दी। 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नीलम और अभय ने दोबारा बीजेपी जॉइन की, लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। 2023 में अभय मिश्रा कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने।
बीजेपी की हैट्रिक या कांग्रेस मारेगी बाजी ?
2004 के आम चुनाव में बीजेपी के चंद्रमणि त्रिपाठी विजयी हुए। 2009 में बहुजन समाज पार्टी के देवराज सिंह पटेल विजय हुए। जबकि साल 2014 और 2019 में भाजपा से लगातार दूसरी बार जनार्दन मिश्रा जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। BJP ने फिर तीसरी बार जनार्दन को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने नीलम मिश्र को जबकि बसपा ने फिर ओबीसी से अभिषेक पटेल को मौका दिया है। देखना होगा कि क्या बीजेपी के जनार्दन मिश्रा जीत की हैट्रिक लगा पाते हैं या फिर कांग्रेस उनके इस विजय रथ को रोकने में सफल होती है। यह 4 जून को लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद पता चल जाएगा।