Welcome Back Sunita: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनिटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) की अंतरिक्ष यात्री और भारतीय मूल की महिला सुनिता विलियम्स धरती पर वापस लौट आईं. धरती पर उनकी लैंडिंग भारतीय समयनुसार तड़के 3:30 बजे हुई
सुनीता विलियम्स की इस लैंडिंग के साथ ही एक एतिहासिक स्पेश मिशन संपन्न हुआ. अब सवाल आता है कि Sunita Williams करीब 9 महीने के लिए इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन (ISS) पर थीं, जो धरती की सतह से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद है तो NASA और ISS का कम्युनिकेशन्स कैसे होता है?
आज आपको नासा के कम्युनिकेशन्स सिस्टम और ISS से कॉन्टैक्ट करने के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं.
Nasa के पास कई ग्राउंड स्टेशन मौजूद
नासा के कई ग्राउंड स्टेशन हैं, जिनका इस्तेमाल वह कम्युनिकेशन्स के लिए करता है. इसमें एक खास कम्युनिकेशन सिस्टम ट्रैकिंग और डेटा रिले सैटेलाइट सिस्टम (TDRSS) है और धरती पर इनके मुख्य स्टेशन न्यू मैक्सिको और गुआम में हैं.
35 हजार किमी दूर TDRS सेटेलाइट को सिग्नल भेजते हैं
ये ग्राउंड स्टेशन TDRS सेटेलाइट को सिग्नल भेजते हैं, जो पृथ्वी से लगभग 35,786 किमी की ऊंचाई पर मौजूद है. उसके बाद ये सेटेलाइट ISS को सिग्नल भेजते हैं. इस दौरान सिग्नल लाइट की स्पीड पर काम करतें हैं, जिनकी स्पीड 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है, ऐसे में धरती से ISS तक सिग्नल में पहुंचाने में सिर्फ 1.4 मिलीसेकेंड का समय लगता है और दोनों तरफ से सिग्नल आने और जाने में टोटल 2.8 मिलीसेकेंड का समय लगता है.