रायपुर: वर्तमान में अचानक हुई विद्युत दरों के वृद्धि से प्रदेश के स्टील उद्योगों को तगड़ा झटका लगा है. इससे छत्तीसगढ़ में लौह बनाने की कीमत काफी बढ़ गई है. स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोएिशन ने राज्य सरकार से पांच सालों के लिए 1.40 रुपए की अनुदान के साथ 15 सालों के लिए 8 प्रतिशत विद्युत शुल्क (Electricity Duty) को 0 करने की मांग की है.
छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के महासचिव मनीष धुप्पड़ ने विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग 600 स्टील उद्योग है, जो लगभग 40 प्रतिशत खपत के साथ छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं. उद्योग प्रतिवर्ष लगभग 1100 करोड़ यूनिट खपत करता है, जिससे छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल को प्रतिवर्ष लगभग 7700 करोड़ रुपए का सबसे अधिक राजस्व मिलता है.
उन्होंने बताया कि केवल विद्युत खपत के लिहाज से ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ का लौह उद्योग जीएसटी टैक्स के माध्यम से राज्य शासन एवं भारत सरकार प्रति वर्ष लगभग 9 हजार करोड़ से अधिक राजस्व प्रदान करता है. इसके साथ यह उद्योग लगभग ढाई से तीन लाख परिवारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है. छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट उद्योग 105 स्पंज आयरन एवं 220 रोलिंग मिलों की बीच की कड़ी है.
छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के महासचिव मनीष धुप्पड़ ने भारत के प्रमुख स्टील उत्पादक राज्यों की बिजली दरें का बिल प्रदर्शित करते हुए बताया कि ओडिशा में जहां 5.13 रुपए चार्ज किया जा रहा है, तो वहीं जिंदल पार्क रायगढ़ द्वारा 5.00 रुपए, पंजाब 5.44 रुपए और दामोदर वेल्ली पश्चिम बंगाल द्वारा 5.99 रुपए प्रति यूनिट चार्ज किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि हमारा तैयार माल एवं अन्य राज्यों का तैयार माल एक रूपण है, लेकिन विद्युत दरों में बढ़ोतरी से अन्य राज्यों की तुलना में हमारे माल की लागत काफी बढ़ गई है, और अन्य राज्यों के माल सस्ती दरों पर दूसरे राज्यों में विकय किया जा रहा है. भारी नुकसान और आर्थिक तंगी के बीच छत्तीसगढ़ के लौह उद्योग के ऊपर गहरा संकट आ गया है.
छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन ने छत्तीसगढ़ शासन से मांग की है कि जल्द से जल्द छत्तीसगढ़ के लौह उद्योगों को पूर्व की भांति 1.40 रुपए का अनुदान और 8 प्रतिशत विद्युत शुल्क में छूट दी जाए, जिससे छत्तीसगढ़ लौह उद्योग पुनः राज्य की अग्रणी विकास में अपनी महती भूमिका निभा सके. इसके साथ ही राज्य के बजट में जीएसटी लगभग 9000 करोड़ और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को 7700 करोड़ के अपना योगदान पूर्व की भांति प्रदान करता रहे.