रायपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के बाद भैसों को लाने का रास्ता साफ हुआ है। आज असम से छत्तीसगढ़ में चार मादा भैंसा लाई जाएगी, इसे लेकर वन विभाग ने अपनी टीम असम भेजी है। इन्हें गरियाबंद के बार नवापारा अभ्यारण्य में रखा जाएगा. असम के वन भैंसे के साथ वंश वृद्धि हेतु 10 साल का परियोजनान बनाई गई है। वन विभाग के अनुसार मौजूदा समय में वन भैंसा शुद्ध नस्ल का छत्तीसगढ़ और असम में पाया जाते है. छत्तीसगढ़ में इनकी संख्या 50 है, जिसमें से केवल एक नर वन भैंसा है।
गौरतलब है कि असम से वन भैंसा लाकर छत्तीसगढ़ के भैंसों के साथ प्रजनन कराने के खिलाफ नितिन सिंघवी ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इससे दोनों वन भैसों की जेनेटिक विविधता के कारण हाईकोर्ट ने वनभैंसा लाने पर रोक लगाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने अपना स्टे हटा दिया है। इसके बाद भैंसों का आने का रास्ता साफ हो गया है।
दरसअल हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ के वन भैंसों के शुद्धतम जीन पूल मिक्स होने से बीमार बच्चे पैदा होंगे. छत्तीसगढ़ के वन भैंसों का जीन दूषित होने का खतरा है.। इसके साथ ही असम के वन भैंसों का यहां आजीवन कैद रखने पर उन पर भी खतरा मंडराएगा। इस मामले में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूड की रिपोर्ट के साथ असम औऱ छत्तीसगढ़ की भैंसों में असमानता है कहा गया था, जिसे लेकर पर्यावरणविद् नितिन सिंघवी ने होईकोर्ट में याचिका लगाई थी।