भारत की प्राचीन योग और प्राणायाम परंपराएं केवल मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी अत्यधिक प्रभावी हैं। पेल्विक फ्लोर मांसपेशियाँ शरीर के निचले अंगों का महत्वपूर्ण समर्थन करती हैं। इन्हें मजबूत बनाए रखना मूत्राशय और आंतों के स्वास्थ्य के साथ-साथ यौन स्वास्थ्य और शारीरिक संतुलन के लिए भी बेहद जरूरी है।
आज की व्यस्त और बैठी-ठाली जीवनशैली में, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करना महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए आवश्यक है। ये मांसपेशियाँ आपके मूत्राशय, गर्भाशय (महिलाओं में), प्रोस्टेट (पुरुषों में), और आंतों का समर्थन करती हैं। यदि ये मांसपेशियाँ कमजोर हो जाएं, तो इससे असंयम (incontinence), सेक्सुअल डिसफंक्शन, और निचले पेट में दर्द जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
इस ब्लॉग में, हम योग और प्राणायाम के जरिए पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने के 6 सर्वोत्तम और सरल व्यायामों पर चर्चा करेंगे।
पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने का महत्व
पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियाँ शरीर के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। ये मूत्राशय और आंतों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करती हैं, जिससे असंयम की समस्या से राहत मिलती है। इसके अलावा, पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को मजबूत करने से यौन स्वास्थ्य में सुधार होता है और प्रसव के बाद महिलाओं के लिए रिकवरी प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है। पुरुषों में ये मांसपेशियाँ प्रोस्टेट स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक होती हैं।
1. मूलबंध (Moola Bandha)
मूलबंध एक विशेष योग तकनीक है, जो पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को सक्रिय और मजबूत करती है। यह बंध पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों को कसने और उन्हें नियंत्रित करने पर आधारित है, जिससे पेल्विक फ्लोर, मूत्राशय और प्रजनन अंगों का समर्थन होता है। मूलबंध करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठकर रीढ़ को सीधा रखते हुए पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को अंदर की ओर खींचा जाता है, जैसे मूत्र रोकने की कोशिश कर रहे हों। इसे कुछ सेकंड तक पकड़कर धीरे-धीरे छोड़ दिया जाता है। इसका नियमित अभ्यास शरीर की मूल शक्ति बढ़ाने, प्रजनन प्रणाली को बेहतर बनाने और मानसिक स्थिरता में मदद करता है।
मूलबंध करने की विधि:
1. सबसे पहले आप पद्मासन (कमलासन) या सुखासन में आराम से बैठ जाएं। ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ सीधी हो और आपका ध्यान केंद्रित हो।
2. अब धीरे-धीरे अपनी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को अंदर की ओर खींचें, जैसे आप मूत्र रोकने की कोशिश कर रहे हों। यह खिंचाव आपकी मलाशय और मूत्राशय की मांसपेशियों को संकुचित करता है।
3. इस स्थिति को कुछ 5-10 सेकंड तक बनाए रखें और गहरी साँस लेते रहें।
4. धीरे-धीरे मांसपेशियों को ढीला छोड़ें और आराम करें।
5. इसे 10-15 बार दोहराएं लेकिन अपने शरीर की क्षमता का ध्यान रखते हुए करें।
2. उत्कटासन (Chair Pose)
उत्कटासन जिसे कुर्सी मुद्रा भी कहा जाता है, योग की एक ऐसी आसन है जो शरीर की ताकत, संतुलन और लचीलापन बढ़ाने में मदद करती है। इस आसन का नाम संस्कृत के शब्दों से लिया गया है: ‘उत्कट’ का अर्थ होता है ‘तीव्र’ या ‘बलशाली’, और ‘आसन’ का अर्थ ‘मुद्रा’। इस आसन को करते समय ऐसा लगता है जैसे आप अदृश्य कुर्सी पर बैठे हों, इसलिए इसे कुर्सी मुद्रा भी कहा जाता है। यह आसन पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने, कूल्हों को खोलने, और निचले शरीर के संतुलन में सुधार करने के लिए बहुत प्रभावी है। उत्कटासन से कमर, जांघ, टखनों और पिंडलियों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं। साथ ही यह मुद्रा आपके धैर्य और सहनशक्ति को भी बढ़ाती है।
उत्कटासन करने की विधि:
1. सबसे पहले आप ताड़ासन में खड़े हो जाएं फिर अपने पैरों को साथ मिलाएं और हाथों को शरीर के पास रखें।
2. अपनी हथेलियों को नमस्कार मुद्रा (प्रार्थना मुद्रा) में सामने जोड़ें या सीधे अपने सिर के ऊपर उठाएं, जैसे आप छत की ओर इशारा कर रहे हों।
3. धीरे-धीरे अपने घुटनों को मोड़ते हुए ऐसा महसूस करें जैसे आप एक अदृश्य कुर्सी पर बैठने जा रहे हैं। आपकी जांघें फर्श के समानांतर आनी चाहिए और घुटने आपके पैरों की उंगलियों से आगे नहीं बढ़ने चाहिए।
4. अपनी पीठ सीधी रखें और छाती को ऊपर उठाए रखें। यह सुनिश्चित करें कि आपका शरीर संतुलित है और आपका वजन आपकी एड़ी पर है।
5. इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें, और धीरे-धीरे साँस लेते रहें।
वापस ताड़ासन की स्थिति में आने के लिए धीरे-धीरे घुटनों को सीधा करें और आराम करें।
3. सेतु बंधासन (Bridge Pose)
सेतु बंधासन जिसे ब्रिज पोज़ भी कहा जाता है, एक उत्कृष्ट योग आसन है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसका नाम संस्कृत में ‘सेतु’ का अर्थ है ‘ब्रिज’ और ‘बंध’ का अर्थ है ‘बंधन’। यह आसन रीढ़, छाती और कूल्हों को मजबूत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। यह विशेष रूप से पीठ दर्द के इलाज के लिए भी उपयोगी होता है।
सेतु बंधासन करने की विधि:
1. सबसे आप आरामदायक स्थिति में पीठ के बल लेटें। अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई के बराबर फैलाएं और घुटनों को मोड़ें, जिससे आपके पैरों की पत्तियाँ फर्श पर हों।
2. अपने हाथों को शरीर के पास हथेलियाँ नीचे की ओर रखें।
3. अब गहरी साँस लेते हुए, अपने नितंबों (कूल्हों) को ऊपर उठाएं। यह स्थिति लेते समय ध्यान रखें कि आपके कंधे और सिर फर्श पर रहें। आपके शरीर का हिस्सा कंधों से लेकर घुटनों तक सीधा होना चाहिए।
4. पोज़ को बनाए रखें: इस स्थिति में कुछ सेकंड (20-30 सेकंड) तक रहें। अपने पैरों और हाथों के माध्यम से संतुलन बनाए रखें। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और अपने नितंबों को कसने का प्रयास करें।
5. वापस आना: जब आप इस स्थिति को पूरा कर लें तो धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए अपने नितंबों को नीचे लाएँ और वापस प्रारंभिक स्थिति में लेटें। इसे 3-5 बार दोहराएं।
4. बालासन (Balasana)
बालासन जिसे चाइल्ड पोज़ भी कहा जाता है, एक सरल और विश्रामकारी योग आसन है। यह आसन योगाभ्यास के दौरान विश्राम करने के लिए किया जाता है और यह शरीर और मन दोनों के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। यह आसन पूरे शरीर को स्ट्रेच करने के साथ-साथ मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देने में मदद करता है।
बालासन करने की विधि:
1. सबसे पहले अपनी दोनों टांगों को फर्श पर फैलाकर घुटनों के बल बैठें। आपकी एड़ियाँ एक-दूसरे को छूती होंगी और आपके पैरों की अंगुलियाँ फर्श की ओर होंगी।
2. अब अपने ऊपरी शरीर को आगे की ओर झुकाएं और अपने माथे को फर्श पर रखें। यदि आप चाहें, तो हाथों को शरीर के दोनों ओर आराम से रखें या उन्हें आगे की ओर बढ़ाएं।
3. अपने हाथों को लंबे खिंचाव में बढ़ाएं और अपने शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और गहरी सांसें लें।
4. इस स्थिति में कुछ समय (30 सेकंड से 2 मिनट) तक रहें। ध्यान दें कि आपकी गर्दन, कंधे और पीठ में कोई तनाव नहीं हो।
5. जब आप इस स्थिति को पूरा कर लें तो धीरे-धीरे अपने हाथों की मदद से उठें और वापस सामान्य स्थिति में लौटें।
5. मलासन (Garland Pose)
मलासन जिसे स्क्वाटिंग पोज़ भी कहा जाता है, एक प्रभावी योग आसन है जो पेल्विक फ्लोर को मजबूत करने और शरीर की लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है। यह आसन विशेष रूप से पैर की मांसपेशियों, हिप्स और रीढ़ को खींचता है। मलासन को भारत में पारंपरिक रूप से प्राकृतिक रूप से बैठने की मुद्रा के रूप में देखा जाता है और यह कई भारतीय संस्कृतियों में स्वाभाविक है।
मलासन करने की विधि:
1. सबसे पहले आप अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई के बराबर फैलाकर खड़े हो जाएं। सुनिश्चित करें कि आपके पैर फर्श पर पूरी तरह से सपाट हैं।
2. अपने घुटनों को मोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे की ओर बैठें। अपनी एड़ियों को फर्श पर रखें और अपने नितंबों को अपने कंधों के बीच लाएं।
3. अपने हाथों को अनलॉक करते हुए सामने लाएं और अपनी हथेलियों को एक-दूसरे के सामने मिलाएं, जैसे कि आप प्रार्थना कर रहे हों। इसे ‘अनहर्ड पोज़’ भी कहा जाता है।
4. अपनी रीढ़ को सीधा रखें और अपने कंधों को ढीला छोड़ें। धीरे-धीरे अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें।
5. अब अपने हाथों को नीचे करके, अपने शरीर को सीधा करते हुए धीरे-धीरे खड़े हो जाएं।
6. विपरीत करणी (Viprit Karni)
विपरीत करणी एक शांति और विश्राम लाने वाला योग आसन है जिसे अक्सर “लेग्स-अप-द-वॉल पोज़” के रूप में जाना जाता है। यह आसन शरीर के नीचे के हिस्से को आराम देता है और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। यह मुद्रा रक्त संचार को बेहतर बनाने और रीढ़ की हड्डी को सुदृढ़ करने के लिए जानी जाती है।
विपरीत करणी करने की विधि:
1. आरंभिक स्थिति एक साफ और सपाट जगह पर योग चटाई बिछाएं।
2. दीवार के पास बैठें और अपने शरीर को दीवार की ओर घुमाएं। अपनी एड़ियों को दीवार पर टिकाते हुए धीरे-धीरे अपनी पीठ को चटाई पर लिटाएं।
3. अपने पैरों को दीवार पर सीधा करें ताकि वे सीधे ऊपर की ओर हों। यह स्थिति आपके शरीर को एक L आकार में बनाएगी।
4. अपने हाथों को अपनी शरीर के किनारे रख सकते हैं, या आप उन्हें पेट पर रख सकते हैं। यदि आप चाहें तो अपनी हथेलियाँ ऊपर की ओर खुली रख सकते हैं।
5. इस स्थिति में गहरी साँस लेते रहें और अपनी आँखें बंद कर लें। यह स्थिति 5 से 15 मिनट तक बनाए रखें।
6. जब आप खत्म करना चाहें, तो धीरे-धीरे अपने पैरों को नीचे लाएं और एक ओर लोटकर आराम से बैठें।
निष्कर्ष
पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करना आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। भारतीय योग और प्राणायाम विधियाँ न केवल शारीरिक रूप से आपको लाभ पहुंचाती हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी शांति प्रदान करती हैं। इन सरल और प्रभावी एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों की ताकत को बढ़ावा दें।
यदि आप अपनी पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को मजबूत करना चाहते हैं, तो आज ही इन योग और प्राणायाम तकनीकों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। रोज़ाना अभ्यास से आपको आश्चर्यजनक लाभ दिखाई देंगे, जिससे आपका स्वास्थ्य और आत्मविश्वास दोनों मजबूत होंगे।