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खेती बड़ी में भी विशेष रुचि रखते हैं सीएम विष्णु देव साय, जड़ी बूटी के भी हैं जानकार, संघर्षों में गुजरा पूरा बचपन…

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को जनसंघ की विरासत अपने दादा स्वर्गीय श्री बुधनाथ साय से मिली। उनके दादा स्वतंत्रता के पश्चात सन् 1947 से 1952 तक तत्कालीन सीपी एंड बरार विधानसभा में मनोनीत विधायक भी रहे। श्री साय का परिवार शुरू से ही जनसंघ से जुड़ा रहा। उनके बड़े पिताजी स्वर्गीय श्री नरहरि प्रसाद साय वर्ष 1977-79 तक जनता पार्टी सरकार में संचार राज्य मंत्री रहे।

https://youtu.be/CzOWVmZ1fDc

जिला मुख्यालय जशपुर से 57 किलोमीटर दूर छोटे से आदिवासी बहुल गांव बगिया के निवासी मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय किसान परिवार से आते हैं। बगिया की प्राथमिक शाला में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने कुनकुरी के लोयोला मिशनरी स्कूल में एडमिशन लिया। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वह अंबिकापुर गए। जब वह प्रथम वर्ष में थे, तभी उनके पिता रामप्रसाद साय का निधन हो गया।

https://youtu.be/CzOWVmZ1fDc

घर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए वह पढ़ाई छोड़कर गांव वापस आ गए। बगिया में मैनी नदी के तट पर साय परिवार का आवास है। विष्णु देव साय मंत्री, सांसद, विधायक रहे लेकिन वह अपने पैतृक गांव को नहीं छोड़ा। अपने दो भाईयों को पढ़ाकर-लिखाकर उन्होंने काबिल बनाया। उनके एक भाई श्री जयप्रकाश साय भारत हैवी इलेक्ट्रिकल में इंजीनियर हैं। एक भाई श्री ओमप्रकाश साय सरपंच थे। अभी चार माह पूर्व ही उनका असामयिक निधन हुआ।

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मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय खेती किसानी में बहुत रुचि रखते हैं। नदी के तट पर अपने घर में वह सब्जियां उगाते हैं। कोरोना काल में वह गांव में सब्जी उगाते रहे और अन्य किसानों को भी प्रेरित करते रहे। उन्होंने मैनी नदी पर पुल बनवाया। नदी की रेत में खीरा, ककड़ी, मूंगफली आदि की खेती के लिए गांव के किसानों को प्रेरित किया। उनके प्रयासों से गांव में कृषि के क्षेत्र में उन्नति हुई है।

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जड़ी-बूटियों का है ज्ञान- मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जंगली जड़ी-बूटियों के अच्छे जानकार हैं। वह पथरी की अचूक दवा देते हैं। उनके कई लाभार्थी उनकी दवा की प्रशंसा करते हैं। श्री साय ने जनजाति समाज के विकास के लिए काम किया। कंवरधाम के विकास का श्रेय उन्हें दिया जाता है। जनजाति समाज के आयोजनों में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या अग्रणी भूमिका में रहती हैं। श्री साय की दो पुत्रियों में से बड़ी बेटी निवृत्ति की शादी धमतरी में हुई है। दूसरी पुत्री स्मृति अभी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। उनके पुत्र तोशेंद्र ने पत्रकारिता व लिट्रेचर की पढ़ाई की है और वर्तमान में रायपुर में फिटनेस इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं।

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