उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। जिस वजह से इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा है। दरअसल, उत्पन्ना एकादशी के दिन मूर नामक असुर का वध माता एकादशी ने किया था। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन ही माता एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस एकादशी का अधिक महत्व है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत की तारीख, मुहूर्त,पूजा विधि और महत्व।
उत्पन्ना एकादशी का व्रत इस बार 8 दिसंबर 2023 को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 9 दिसंबर की सुबह तक रहेगी। लेकिन, ब्रह्म मुहूर्त में एकादशी तिथि के आरंभ 8 दिसंबर से हो रहा है। इसलिए व्रत 8 दिसंबर को ही किया जाएगा।
एकादशी तिथि का आरंभ 8 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से होगा और 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी।
उत्पन्ना एकादशी पूजा के लिए शुभ लाभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 19 मिनट से लेकर 9 बजकर 37 मिनट तक।
इसके बाद अमृत काल सुबह 9 बजकर 37 मिनट से लेकर 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
इन दो शुभ मुहूर्त में आप उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजा पाठ कर सकते हैं।